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#हवस_ने_मासूम_को_मार_डाला

रो लीजिए...पीट लीजिए अपनी छाती...व्यवस्थाओं को कोस लीजिए...अफसोस जता लीजिए...गौरी लंकेश से अगर कुछ मोमबत्तियां बाकी रह गईं हो तो इस बच्चे की खातिर भी शोक प्रदर्शन कर लीजिए। फीस बड़ी हाई-फाई थी...तीन महीने की 45 हजार...स्कूलवालों के नखरे भी बड़े थे...एडमिशन के वक्त इंतजामों का चिट्ठा भी बड़ा था...बच्चा पढ़ लिखकर काबिल बनेगा, बस इसी ख्वाब को लेकर उन्होंने अपने बच्चे का दाखिला रेयान इंटरनेशनल स्कूल, गुरुग्राम में कराया था...लेकिन स्कूल ने ही बच्चे को मार डाला...ये जो गले के पास गहरा घाव है न...इस घाव में सारे इंतजाम कहीं खो गए हैं...स्कूल कैंपस में पसरे इस सन्नाटे के बीच प्रद्युम्न की मुस्कान, सांसें कहीं भटक गईं हैं। प्रद्युम्न के पापा अपने बेटे को मना रहे हैं, कह रहे हैं कि चल घर, लेकिन वो है कि उठता ही नहीं। पता नहीं कितनी गहरी नींद में सो गया है...रोज तो सुबह उठ जाता था लेकिन आज उठता ही नहीं। 7 साल का मासूम...जिसका बस्ता (स्कूल बैग) अक्सर कंडक्टर अंकल ही बस में बनी रैक में रख देते थे...जिनके बस में होनेे से प्रद्युम्न समेत तमाम बच्चे जो बस में सफर करते थे उन्हे यकीन रहता था कि