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Showing posts from April, 2017

यकीन मानिए आप बेहतर हैं पर...

(किसी व्यक्ति विशेष पर पत्र आधारित नहीं है...कृपया कोई भी अन्यथा न ले गर लेता है तो इसे महज एक संयोग कहा जाएगा) माननीय, जो लाइनों पर लाइन लिखकर बौरा जाते हैं....खुद को विशेष के तमगे के साथ जोड़कर सारी सहूलियतों का हकदार मानने लगते हैं.....आपके लिए एक विशेष पत्र बाया मस्तिष्क से होते हुए उंगलियो से आपकी सेर सेर भर की दुकानों में चिपका रहा हूं....गर जल उठे तो राख बनने से पहले मान लीजिएगा कि आपका ताजमहल यमुना के प्रदूषण से पहले आपके अहम् की चपेट में आकर पीला, करिया ( काला) पड़ गया है...शब्दों की चवन्नी अठन्नी बटोरते समय आप शायद यशवंत सिंह, राहत इंदौरी, मुनव्वर राना, जॉन एलिया, कुमार विश्वास, ग़ालिब सरीखे कीमती सिक्कों को भूल जाया करते हैं...वो हौले से खनकते थे...क्योंकि गर ज्यादा खनके होते तो उनका लब्बोलुबाब काफी पहले ही सिमटता और घिस घिसकर मिट जाता....आज पहचान की बजाए अंजान होते...लेकिन आप अंजान होकर भी पहचनवाने की कोशिश कर रहे हैंं। प्रयास सराहनीय है...होना भी चाहिए क्योंकि प्रयासरत् इंसान और पहाड़ में चढ़ने के प्रयत्न में जुटी चींटी अच्छी लगती है...लेकिन जहां अहम् आया वहां यकीन

आंदोलन की हदें पार, रंडी नाचे बीच बाजार

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तमिलनाडु के किसानों को मूत्र पीता देखकर बिलकुल भी असहज नहीं हुआ....क्योंकि देश की राजनीति का नया चित्रण कुछ इसी तर्ज पर हुआ था....पहले किन्नर पेटीकोट उठाते थे....तो हरे पटके में लिपटे इन किसानों ने सड़क पर नंगा नाच किया तो नया क्या है....इजाज़त पहले ही दे दी गई थी.....रही बात सरकार की तो....मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था हवाई जहाज बन गई है....प्रवक्ताओं के जरिए रोज टेकऑफ करती है...और विपक्ष फिर लैंड करा देता है। लेकिन बनती बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच किसान मूत्र पी रहे हैं...ये  गौ मूत्र नहीं है...धार इंसान की थी और सरकार निशाने पर.... लोकतंंत्र के चौथे स्तंभ ने कैमरा जूम कर करके इंसान की पेशाब का पीलापन दिखाया....और उस पीलेपन में गोता लगाती विपक्ष की राजनीति को कॉन्सेप्ट कुमार ने अपने अंदाज में उस काले पर्दे के पीछे गायब कर दिया...जिसमें राष्ट्रवाद की परिभाषा कभी उकेरी गई थी....सब अपने अपने लिहाज से दिखा रहे हैं...जितना जो खरीदता है...उतना दिखाया जाता है...बाकी को शब्द की जुगाली करके लिक्खाड़ टट्टी की तरह हग देते हैं...देश विकास की ओर बढ़े न बढ़े..लेकिन जिन लोगों ने अभी शू-शू प

कुलभूषण की फांसी या पाक को सज़ा-ए-मौत !

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1947 में हुआ भारत का विभाजन बीसवीं सदी का सबसे दर्दनाक वाकया था….हालांकि इसके लिए असल में उत्तरदायी जिन्ना थे या फिर कांग्रेस या अंग्रेज….इस पर लोगों का अलग अलग मत है। क्योंकि हिंदू मुस्लिम एकता के पैरोकार के रूप में भी जिन्ना को जाना जाता था। लेकिन जिद विभाजन बनी और विभाजन से दो अलग अलग मानसिकताएं तैयार कर दी गईं। और ये मानसिकता एक नदी की सीमाओं के साथ ही बंट जाती है…दरअसल चिनाब दो मुल्कों को छूते हुए गुजरती है…एक है भारत…जहां विकास है, अलग अलग मजहबों के बीच सामंजस्य है। हालांकि सामंजस्य और शांति कई बार चोट पहुंचती है… जिसकी वजह बनता है चिनाब को जहरीला करने वाला दूसरा मुल्क यानि पाकिस्तान….जहां भुखमरी, बेरोजगारी और पुश्तों को समाप्त करने का मानिए अभियान सा चलाया जा रहा है। जेहाद, हूरों के बीच फंसा पाकिस्तान न जाने क्यों खुद के द्वारा पैदा किए गए आतंकवाद से अपने मिटते अस्तित्व को नहीं देख पा रहा। विरोध, विवाद का एक और कारनामा पाकिस्तान तैयार कर रहा है….पाकिस्तान सरकार ने भारतीय कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान की इस हरकत पर विदेश म