दहेज प्रथा ने कुछ को तानाशाह बना दिया...अब मैरिटल रेप की बारी है !

पड़ोस की चाय की गुमटी के पास बहुत तेजी से बहस चल रही थी..मुद्दा था मैरिटल रेप...इसी दौरान एक तकरीबन 62 वर्षीय चचा के पास से सवाल आया कि मैरिटल रेप सिर्फ पत्नी के लिए ही क्यों ? ये सुनकर मेरे दिमाग में टनटनाया कि पक्का चचा का चाची ने शोषण किया है...क्यों ऐसा ही कुछ आपको भी लगा होगा...दरअसल बात यूं है कि जब पत्नी का मन न हो तो जिद्दियाते रहिए ...मनाते रहिए...गिड़गिड़ा जाईये...उसके बावजूद यदि संभोग किया तो मैरिटल रेप हो जाएगा..और पति यदि ऑफिस से थक हारकर आये और पत्नी संभोग के लिए जबरदस्ती करे...पति आनाकानी करे...तो पत्नी के जहन में ख्याल आएंगे कि कहीं आप नपुंसक तो नहीं हो गए...कहीं बाहर अफेयर तो नहीं चल रहा...कहीं शादी के बाद रिश्ता बदल तो नहीं गया...कहीं नजरिया तो नहीं बदल गया। यकीन मानिए ये तमाम सवाल हो सकता है किसी किसी पर दगे भी हों...लेकिन मानहानि का टुटपुंजिया सा मुकद्दमा भी नहीं दर्ज होगा..। हालांकि इस बात से मैं भी कतई इत्तफाक नहीं रखता हूं कि पत्नी महज संभोग का साधन मात्र है...तो पति भी सेक्स टॉय तो नहीं..कि सीमन के निकलते ही दोनों एक दूसरे को बेकार लगने लगे...आज खुलकर बात करने की होड़ मची हुई है। पर, खुलकर बात करने पर कुछ खुले विचार वाले ही सामने वाले को बेशर्म का सख्ती से ताज पहना देते हैं। इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि मेरी इस टिप्पणी पर भी कईयों को आपत्ति होगी। लेकिन क्यों इस सवाल का जवाब भी उन्हीं को तलाशना है...लोग पचा पाएं या न पचा पाएं...ब्रा की स्ट्रेप दिखने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं होती...जब हम चड्ढी की ऊपर वाली इलास्टिक दिखा सकते हैं तो आपकी ब्रा की स्ट्रेप दिख गई तो क्या गलत हो गया...क्लीवेज अगर दिखता है या जानबूझ कर दिखाया जाता है तो हम नहीं टोकते...हमारी भी चड्ढी कई दफे पिछवाड़े से कुछ खिसक जाती है..तो लड़कियां हसती जरूर हैं...। जैसे मन आए वैसे रहिए..जिंदगी हमारी है, हम जैसे जीना चाहें वैसे जियें....लेकिन अधिकार समान हों...दहेजप्रथा आज भी सीधे सादे लड़कों के पिछवाड़े काले करा देती है....सज्जन परिवारों को सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। लड़का देखे तो पाप हो गया...लड़कियां देखें तो उनका अधिकार है....सज्जनता की ऊंची सी ट्रॉफी एक वर्ग को देना गलत है...अधिकार दोनों का है, कलाकार भी दोनों हैं। देख लीजिए हनीप्रीत को...पता था बाबा राम रहीम शादी शुदा है...गुफा में तकिया कंबल खेलता है...लेकिन हनीप्रीत ने बाबा की पत्नी के साथ साथ न जाने कितने लोगों को धोखा दिया..और सच मानिए यही हनीप्रीत अगर कल मीडिया में आकर ये कह दे कि गुरमीत की जब शादी नहीं हुई थी और हनीप्रीत नाबालिग थी तब से उन दोनों के संबंध थे...और फिर ये कह दे कि बाबा ने वादा किया था कि वो हनीप्रीत को उसका हक दिलाएगा तब देखिए हनीप्रीत बेचारी हवा से जल्दी हो जाएगी...तो अधिकार समान हों..एक पर हावी होने का अधिकार किसी को मजबूत बनाने की जगह तानाशाह न बना दे...उदाहरण के रूप में दहेज प्रथा के कई मामलों को उठाकर देख लीजिएगा....
दरअसल केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में 'मैरिटल रेप' को 'अपराध करार देने के लिए' दायर की गई याचिका के ख़िलाफ़ कहा कि इससे 'विवाह की संस्था अस्थिर' हो सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, "मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है औस ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है। पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है।" ऐसे में ये सवाल पूछा जा सकता है कि 'रेप' और 'मैरिटल रेप' में क्या फर्क है और विवाह की संस्था का इससे क्या संबंध है?
अच्छा अब रेप भी जान लीजिए - आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़ कोई व्यक्ति अगर किसी महिला के साथ अगर इन छह परिस्थितियों में यौन संभोग करता है तो कहा जाएगा कि रेप किया गया।
1. महिला की इच्छा के खिलाफ
2. महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति उसे मौत या नुक़सान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर हासिल की गई हो।
3. महिला की सहमति से, लेकिन महिला ने ये सहमति उस व्यक्ति की ब्याहता होने के भ्रम में दी हो।
4. महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति देते वक्त महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो या फिर उस पर किसी नशीले पदार्थ का प्रभाव हो और लड़की कंसेट देने के नतीजों को समझने की स्थिति में न हो।
5. महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना किया गया सेक्स।

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