#दिग्विजय_का_चूतिया_गौरी_की_रंडी

वाह ! कोई रंडी की पैदाइश कहता है, कोई पीएम मोदी के समर्थकों को चूतिया कहता है। देखिए जब विश्वास मरता है, आस्थाएं मर जाती हैं तो जुबान कितनी आजाद हो जाती है। यह भी देखिए संस्कृति के देश में अपशब्दों का कैसे व्यापार हो रहा है ? तथाकथित पत्रकार अपने स्टेटस में संघियों की मां को रंडी कहती है, बलात्कार की पैदाइश बताती है...और देश का एक वर्ग उसकी मौत पर मोमबत्तियां जलाता है....न्याय मांगता है। वाकई हत्या गलत है लेकिन किसी को रंडी और चूतिया कहना बहुत शोभाजनक है क्या ?
अरे भई रंडी कहना है तो शुरुआत अपने घर से कीजिए....बाजार में, अखबार में, अपनी मां के नाम के साथ रंडी प्रकाशित करा दीजिए। एक ओर देश में बेटी बचाने की बात होती है, सम्मान जगाने की बात होती है। तभी कोई तथाकथित आला पत्रकार मां को रंडी कह देती है, राजनीति के ठेकेदार लोगों को चूतिया कह देते हैं। कई लोग तो चूतिया शब्द की वकालत में भी उतर आए हैं। डिक्शनरियां छानने लगे हैं...देखिएगा डिक्शनरी पीकर क्या उगलते हैं।
बहरहाल आज मां, बहनें, बेटियां इस चूतिया शब्द की मुखालिफत में नहीं उतरेंगी...क्योंकि देश की जनता को चूतिया बोला गया है...प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में #अजीत_अंजुम जी कोई मीटिंग नहीं बुलाएंगे क्या ? #रवीश_कुमार जी पर्दा काला नहीं करेंगे क्या ? #राजदीपसरदेसाई गुस्सा नहीं दिखाएंगे क्या ? #बरखा_दत्त मुखालिफत नहीं करेंगी क्या ? अच्छा चूतिया शब्द में कुतिया जैसा वजन नहीं लगता क्या ? और रंडी में.....बहरहाल चूतिया शब्द के भी मायने जान लीजिए...जो कि आपने देश की सवा सौ करोड़ जनता की खातिर मौन रहकर सुना है..यह शब्द जो स्त्री की योनि से ही जुड़ी है। इसका आजकल बहुत प्रयोग होता है। दोस्त हों या फिर अब सियासी विरोधी...इनके बीच भी इस शब्द का इस्तेमाल जमकर होता है। लेकिन देश की सवा सौ करोड़ जनता के माथे से इस शब्द को चिपकाना सही है क्या...जिन्हें आपत्ति नहीं वो मुस्कुराते रहें, जिन्हें आपत्ति है उन्हें विरोध करना ही होगा...कुछ उसी तर्ज पर जिस तरह से रंडी बताने वाले की खातिर रोया गया....
हां निवेदन है कि इस दफे अगर कोई मंच बनाईयेगा तो उस कन्हैया को आमंत्रित करने से बचिएगा जिसने भारत मां को जेएनयू में नुमाइश बना दिया था, भारत मां की रक्षा के लिए सीमाओं पर खड़े जवानों के फर्ज पर सवाल उठा दिया था....निवेदन है....पर, शायद ही आपसे ये हो पाए। नाश्ते में गौरी के रंडी शब्द को देखिएगा, अपने परिवार को देखिएगा....चूतिया देखिएगा स्त्री की कल्पना कीजिएगा। शायद शर्म आ जाए।

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