#पत्रकार_कन्हैया_कुमार
धार्मिक बमों में इस दफे बारूद बढ़ा दी गई है,
लोकतंत्र के किसी स्तंभ से उतारकर पत्रकारिता,
सूली पर चढ़ा दी गई है....
कोई लंकेश मरी थी शायद,
जो गणपति का अपमान करती,
हनुमान का मखौल उड़ाती,
दक्षिणपंथ पर दाग लगाती,
मरी हुई आत्मा से वो मरे समाज का ख्वाब देख रही थी
जहां कब्र ही कब्र हों,
लोग कत्लेआम के लिए बेसब्र हों,
लंकेश मर गई पर सोच आज भी जीवित है,
उसी सोच के साथ प्रतिमाओं के सामने प्रदर्शन हुआ,
सारे पत्रकारों ने कल वकालत कर ली,
मिलकर एक जजमेंट हुआ,
कुछ ख़बरनवीसों की छातियां फट गईं,
धार्मिक उन्माद फैलाने में भीड़ जुट गई,
पत्रकारों की जमात में टुकड़े करने वाले आ गए,
किस ओर है पत्रकारिता सरेआम बतला गए,
धार्मिक बमों में इस दफे बारूद बढ़ा दी गई है,
लोकतंत्र के किसी स्तंभ से उतारकर पत्रकारिता,
सूली पर चढ़ा दी गई है....
कन्हैया कुमार को पत्रकार कहिएगा जनाब,
विरादरी ने उनका भव्य स्वागत किया है,
कल तक छिपाकर टुकड़े करते थे,
अब सरेआम करने का लाइसेंस दिया है।।
सूली पर चढ़ा दी गई है....
कोई लंकेश मरी थी शायद,
जो गणपति का अपमान करती,
हनुमान का मखौल उड़ाती,
दक्षिणपंथ पर दाग लगाती,
मरी हुई आत्मा से वो मरे समाज का ख्वाब देख रही थी
जहां कब्र ही कब्र हों,
लोग कत्लेआम के लिए बेसब्र हों,
लंकेश मर गई पर सोच आज भी जीवित है,
उसी सोच के साथ प्रतिमाओं के सामने प्रदर्शन हुआ,
सारे पत्रकारों ने कल वकालत कर ली,
मिलकर एक जजमेंट हुआ,
कुछ ख़बरनवीसों की छातियां फट गईं,
धार्मिक उन्माद फैलाने में भीड़ जुट गई,
पत्रकारों की जमात में टुकड़े करने वाले आ गए,
किस ओर है पत्रकारिता सरेआम बतला गए,
धार्मिक बमों में इस दफे बारूद बढ़ा दी गई है,
लोकतंत्र के किसी स्तंभ से उतारकर पत्रकारिता,
सूली पर चढ़ा दी गई है....
कन्हैया कुमार को पत्रकार कहिएगा जनाब,
विरादरी ने उनका भव्य स्वागत किया है,
कल तक छिपाकर टुकड़े करते थे,
अब सरेआम करने का लाइसेंस दिया है।।
बधाई Anita Misra जी, आपने कीड़ा तय किया और हमने असल गंदगी तय करने की कोशिश की। Ajit Anjum सर राजनीतिक मंच बनना, आस्था पर चोट करना भी हत्या जितना ही गलत है शायद।
Comments